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Rajendra Das Bhagwat

Tikamgarh , M.P ( March 2015) | Shri Ram Katha | Shri Rajendra Das Ji Maharaj

Contents of this list:

Shrimad Bhagwat Katha by Shri Rajendra Das Ji Maharaj (Muzaffarpur) Day 03
Shrimad Bhagwat Katha by Shri Rajendra Das Ji Maharaj (Muzaffarpur) Day 04
Shrimad Bhagwat Katha by Shri Rajendra Das Ji Maharaj (Muzaffarpur) Day 05
Shrimad Bhagwat Katha by Shri Rajendra Das Ji Maharaj (Muzaffarpur) Day 06
Shrimad Bhagwat Katha by Shri Rajendra Das Ji Maharaj (Muzaffarpur) Day 07 PART 02
Shrimad Bhagwat Katha by Shri Rajendra Das Ji Maharaj (Muzaffarpur) Day 07 PART 01
Tikamgarh , M.P ( March 2015) | Shri Ram Katha | Shri Rajendra Das Ji Maharaj

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9 Must Have Qualities Of A Good Vaishnav DevoteeWhat Is Navdha Bhakti? And Why Is It So Important For Us?8 Yardsticks To Evaluate If My Bhakti Is Increasing?Key Importance Of Bhav And Ras In Krishna Bhakti



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मेरा अवगुण भरा शरीर, कहो ना कैसे
कैसे तारोगे प्रभु जी मेरो, प्रभु जी
लाली की सुनके मैं आयी
कीरत मैया दे दे बधाई
हम राम जी के, राम जी हमारे हैं
वो तो दशरथ राज दुलारे हैं
हम प्रेम नगर के बंजारिन है
जप ताप और साधन क्या जाने
श्याम बंसी ना बुल्लां उत्ते रख अड़ेया
तेरी बंसी पवाडे पाए लख अड़ेया ।
अपने दिल का दरवाजा हम खोल के सोते है
सपने में आ जाना मईया,ये बोल के सोते है
कोई कहे गोविंदा कोई गोपाला,
मैं तो कहूँ सांवरिया बांसुरी वाला ।
सारी दुनियां है दीवानी, राधा रानी आप
कौन है, जिस पर नहीं है, मेहरबानी आप की
मेरे बांके बिहारी बड़े प्यारे लगते
कही नज़र न लगे इनको हमारी
वृन्दावन के बांके बिहारी,
हमसे पर्दा करो ना मुरारी ।
श्यामा प्यारी मेरे साथ हैं,
फिर डरने की क्या बात है
सब दुख दूर हुए जब तेरा नाम लिया
कौन मिटाए उसे जिसको राखे पिया
राधे राधे बोल, श्याम भागे चले आयंगे।
एक बार आ गए तो कबू नहीं जायेंगे ॥
हे राम, हे राम, हे राम, हे राम
जग में साचे तेरो नाम । हे राम...
राधा कट दी है गलिआं दे मोड़ आज मेरे
श्याम ने आना घनश्याम ने आना
ਮੇਰੇ ਕਰਮਾਂ ਵੱਲ ਨਾ ਵੇਖਿਓ ਜੀ,
ਕਰਮਾਂ ਤੋਂ ਸ਼ਾਰਮਾਈ ਹੋਈ ਆਂ
मेरी बाँह पकड़ लो इक बार,सांवरिया
मैं तो जाऊँ तुझ पर कुर्बान, सांवरिया
जग में सुन्दर है दो नाम, चाहे कृष्ण कहो
बोलो राम राम राम, बोलो श्याम श्याम
बोल कान्हा बोल गलत काम कैसे हो गया,
बिना शादी के तू राधे श्याम कैसे हो गया
आज बृज में होली रे रसिया।
होरी रे रसिया, बरजोरी रे रसिया॥
मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री कैसो चटक
श्याम मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री
हर साँस में हो सुमिरन तेरा,
यूँ बीत जाये जीवन मेरा
तेरे दर की भीख से है,
मेरा आज तक गुज़ारा
लाडली अद्बुत नज़ारा तेरे बरसाने में
लाडली अब मन हमारा तेरे बरसाने में है।
नी मैं दूध काहे नाल रिडका चाटी चो
लै गया नन्द किशोर लै गया,
मुझे रास आ गया है, तेरे दर पे सर झुकाना
तुझे मिल गया पुजारी, मुझे मिल गया
ऐसी होली तोहे खिलाऊँ
दूध छटी को याद दिलाऊँ
नगरी हो अयोध्या सी,रघुकुल सा घराना हो
चरन हो राघव के,जहा मेरा ठिकाना हो
मेरा अवगुण भरा रे शरीर,
हरी जी कैसे तारोगे, प्रभु जी कैसे
जा जा वे ऊधो तुरेया जा
दुखियाँ नू सता के की लैणा

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कर्म इतना बिहारी जी का,
मुझ पर एक बार हो जाये,
शेरावाली का लगा है दरबार,
जयकारा माँ का बोलते रहो,
यहाँ बनता नसीबा सभी का,
जो भी आया यहाँ वो ही होके रहा बस यहीं
पीले रंग दी ओ मेरे श्यामा दी वरदी पीले
जोगी बन जाना शिवा दा नाम जपके...