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Sunday sandesh

Sunday sandesh by sri pundrik goswami ji maharaj

Sunday Sandesh by sri pundrik goswami ji 29 may 2016

Sunday Sandesh by sri pundrik goswami ji maharaj 5 june 2016

Sunday Sandesh by sri pundrik goswami ji maharaj 12 june 2016

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Sunday sandesh by sri pundrik goswami ji maharaj
Sunday Sandesh by sri pundrik goswami ji 29 may 2016
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सांवरिया है सेठ ,मेरी राधा जी सेठानी
यह तो सारी दुनिया जाने है
शिव कैलाशों के वासी, धौलीधारों के राजा
शंकर संकट हारना, शंकर संकट हारना
सत्यम शिवम सुन्दरम
सत्य ही शिव है, शिव ही सुन्दर है
अच्युतम केशवं राम नारायणं,
कृष्ण दमोधराम वासुदेवं हरिं,
दिल लूटके ले गया नी सहेलियो मेरा
मैं तक्दी रह गयी नी सहेलियो लगदा बड़ा
जिनको जिनको सेठ बनाया वो क्या
उनसे तो प्यार है हमसे तकरार है ।
तमन्ना यही है के उड के बरसाने आयुं मैं
आके बरसाने में तेरे दिल की हसरतो को
मैं तो तुम संग होरी खेलूंगी, मैं तो तुम
वा वा रे रासिया, वा वा रे छैला
जगत में किसने सुख पाया
जो आया सो पछताया, जगत में किसने सुख
तू कितनी अच्ची है, तू कितनी भोली है,
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ ।
आज बृज में होली रे रसिया।
होरी रे रसिया, बरजोरी रे रसिया॥
तेरा गम रहे सलामत मेरे दिल को क्या कमी
यही मेरी ज़िंदगी है, यही मेरी बंदगी है
नी मैं दूध काहे नाल रिडका चाटी चो
लै गया नन्द किशोर लै गया,
सावरे से मिलने का सत्संग ही बहाना है ।
सारे दुःख दूर हुए, दिल बना दीवाना है ।
मुझे रास आ गया है,
तेरे दर पे सर झुकाना
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे दवार,
यहाँ से जो मैं हारा तो कहा जाऊंगा मैं
श्याम बंसी ना बुल्लां उत्ते रख अड़ेया
तेरी बंसी पवाडे पाए लख अड़ेया ।
मेरा अवगुण भरा रे शरीर,
हरी जी कैसे तारोगे, प्रभु जी कैसे
वृन्दावन के बांके बिहारी,
हमसे पर्दा करो ना मुरारी ।
प्रभु मेरे अवगुण चित ना धरो
समदर्शी प्रभु नाम तिहारो, चाहो तो पार
श्याम बुलाये राधा नहीं आये,
आजा मेरी प्यारी राधे बागो में झूला
जा जा वे ऊधो तुरेया जा
दुखियाँ नू सता के की लैणा
तुम रूठे रहो मोहन,
हम तुमको मन लेंगे
इक तारा वाजदा जी हर दम गोविन्द गोविन्द
जग ताने देंदा ए, तै मैनु कोई फरक नहीं
कहना कहना आन पड़ी मैं तेरे द्वार ।
मुझे चाकर समझ निहार ॥
कोई कहे गोविंदा कोई गोपाला,
मैं तो कहूँ सांवरिया बांसुरी वाला ।
सब हो गए भव से पार, लेकर नाम तेरा
नाम तेरा हरि नाम तेरा, नाम तेरा हरि नाम
ज़िंदगी मे हज़ारो का मेला जुड़ा
हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा
मेरी बाँह पकड़ लो इक बार,सांवरिया
मैं तो जाऊँ तुझ पर कुर्बान, सांवरिया
राधिका गोरी से ब्रिज की छोरी से ,
मैया करादे मेरो ब्याह,

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भजो गोविंद गोविंद गोपाला मुझे तेरा ही
मीरा ने तुझे पुकारा है तूने आकर दिया
हे माँ अंजनी के लाल, हे माँ अंजनी के
शरण तेरी आया मैं,
तेरे दर उत्ते आ गयी हां, हुन हटिया भी
हथ फड़ेया तेरा श्यामा, हुन छड्ड्या भी
प्रभु तेरा प्यार सागर से भी गहरा,
तू है महान आसमानों से भी ऊँचा,
साँवरे सा कौन,
कोई मुझको बताओ तो सही,