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Shyam Katha-Manushree Maharaj-Surat-Nov2014

Surat, Gujarat (3 November 2014) | Shri Khatushyam Katha | Shree Manushree Maharaj

Surat, Gujarat (4 November 2014) | Shree Khatushyam Katha | Swami Manushree Ji Maharaj

Surat, Gujarat (5 November 2014) | Shree Khatushyam Katha | Swami Manushree Ji Maharaj

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Surat, Gujarat (3 November 2014) | Shri Khatushyam Katha | Shree Manushree Maharaj
Surat, Gujarat (4 November 2014) | Shree Khatushyam Katha | Swami Manushree Ji Maharaj
Surat, Gujarat (5 November 2014) | Shree Khatushyam Katha | Swami Manushree Ji Maharaj

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मोहे आन मिलो श्याम, बहुत दिन बीत गए।
बहुत दिन बीत गए, बहुत युग बीत गए ॥
मेरा अवगुण भरा शरीर, कहो ना कैसे
कैसे तारोगे प्रभु जी मेरो, प्रभु जी
राधे मोरी बंसी कहा खो गयी,
कोई ना बताये और शाम हो गयी,
लाडली अद्बुत नज़ारा तेरे बरसाने में
लाडली अब मन हमारा तेरे बरसाने में है।
जग में सुन्दर है दो नाम, चाहे कृष्ण कहो
बोलो राम राम राम, बोलो श्याम श्याम
ज़रा छलके ज़रा छलके वृदावन देखो
ज़रा हटके ज़रा हटके ज़माने से देखो
प्रभु कर कृपा पावँरी दीन्हि
सादर भारत शीश धरी लीन्ही
रंग डालो ना बीच बाजार
श्याम मैं तो मर जाऊंगी
रसिया को नार बनावो री रसिया को
रसिया को नार बनावो री रसिया को
जीवन खतम हुआ तो जीने का ढंग आया
जब शमा बुझ गयी तो महफ़िल में रंग आया
Ye Saare Khel Tumhare Hai Jag
Kahta Khel Naseebo Ka
मैं मिलन की प्यासी धारा
तुम रस के सागर रसिया हो
बांके बिहारी की देख छटा,
मेरो मन है गयो लटा पटा।
नी मैं दूध काहे नाल रिडका चाटी चो
लै गया नन्द किशोर लै गया,
सुबह सवेरे  लेकर तेरा नाम प्रभु,
करते है हम शुरु आज का काम प्रभु,
वास देदो किशोरी जी बरसाना,
छोडो छोडो जी छोडो जी तरसाना ।
यह मेरी अर्जी है,
मैं वैसी बन जाऊं जो तेरी मर्ज़ी है
सत्यम शिवम सुन्दरम
सत्य ही शिव है, शिव ही सुन्दर है
मेरा अवगुण भरा रे शरीर,
हरी जी कैसे तारोगे, प्रभु जी कैसे
कैसे जीऊं मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही न लगे श्यामा तेरे बिना
करदो करदो बेडा पार, राधे अलबेली सरकार।
राधे अलबेली सरकार, राधे अलबेली सरकार॥
वृन्दावन के बांके बिहारी,
हमसे पर्दा करो ना मुरारी ।
कैसे जिऊ मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही ना लागे तुम्हारे बिना
ये तो बतादो बरसानेवाली,मैं कैसे
तेरी कृपा से है यह जीवन है मेरा,कैसे
अच्युतम केशवं राम नारायणं,
कृष्ण दमोधराम वासुदेवं हरिं,
हर पल तेरे साथ मैं रहता हूँ,
डरने की क्या बात? जब मैं बैठा हूँ
हरी नाम नहीं तो जीना क्या
अमृत है हरी नाम जगत में,
हर साँस में हो सुमिरन तेरा,
यूँ बीत जाये जीवन मेरा
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री कैसो चटक
श्याम मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री

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म्हारी पत राखो गोपाल,
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एक दिन राम से मिलनो है एक दिन श्याम से
सीताराम से मिलनो है राधेश्याम से
साँवरा सलोना तेरे हरदम पास है,
हरदम पास है, अर्जी लगाले बन्दे, श्याम