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Shrimad Bhagwat Katha By Shri Krishna Chandra Shastri Ji in April 2015 at Hoshiarpur,Punjab

Hoshiarpur (Punjab) April 2015 | Shrimad Bhagwat Katha | Shri Krishna Chandra Shastri Ji

Hoshiarpur (Punjab) 20 April 2015 | Shrimad Bhagwat Katha | Shri Krishna Chandra Shastri Ji

Hoshiarpur (Punjab) 21 April 2015 | Shrimad Bhagwat Katha | Shri Krishna Chandra Shastri Ji

Hoshiarpur (Punjab) 22 April 2015 | Shrimad Bhagwat Katha | Shri Krishna Chandra Shastri Ji

Hoshiarpur (Punjab) 23 April 2015 | Shrimad Bhagwat Katha | Shri Krishna Chandra Shastri Ji

Hoshiarpur (Punjab) 24 April 2015 | Shrimad Bhagwat Katha | Shri Krishna Chandra Shastri Ji

Hoshiarpur (Punjab) 25 April 2015 | Shrimad Bhagwat Katha | Shri Krishna Chandra Shastri Ji

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साँवरिया ऐसी तान सुना,
ऐसी तान सुना मेरे मोहन, मैं नाचू तू गा ।
आज बृज में होली रे रसिया।
होरी रे रसिया, बरजोरी रे रसिया॥
बृज के नन्द लाला राधा के सांवरिया
सभी दुख: दूर हुए जब तेरा नाम लिया
मेरे जीवन की जुड़ गयी डोर, किशोरी तेरे
किशोरी तेरे चरणन में, महारानी तेरे
दिल लूटके ले गया नी सहेलियो मेरा
मैं तक्दी रह गयी नी सहेलियो लगदा बड़ा
आँखों को इंतज़ार है सरकार आपका
ना जाने होगा कब हमें दीदार आपका
राधे राधे बोल, श्याम भागे चले आयंगे।
एक बार आ गए तो कबू नहीं जायेंगे ॥
मुझे चाहिए बस सहारा तुम्हारा,
के नैनों में गोविन्द नज़ारा तुम्हार
हम हाथ उठाकर कह देंगे हम हो गये राधा
राधा राधा राधा राधा
हर साँस में हो सुमिरन तेरा,
यूँ बीत जाये जीवन मेरा
जग में सुन्दर है दो नाम, चाहे कृष्ण कहो
बोलो राम राम राम, बोलो श्याम श्याम
जा जा वे ऊधो तुरेया जा
दुखियाँ नू सता के की लैणा
कैसे जिऊ मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही ना लागे तुम्हारे बिना
श्यामा तेरे चरणों की गर धूल जो मिल
सच कहता हूँ मेरी तकदीर बदल जाए॥
कहना कहना आन पड़ी मैं तेरे द्वार ।
मुझे चाकर समझ निहार ॥
सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया
दिल दीवाना हो गया, दिल दीवाना हो गया ॥
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे,
कोई सोना की जो होती, हीरा मोत्यां की जो
हम राम जी के, राम जी हमारे हैं
वो तो दशरथ राज दुलारे हैं
ऐसी होली तोहे खिलाऊँ
दूध छटी को याद दिलाऊँ
श्री राधा हमारी गोरी गोरी, के नवल
यो तो कालो नहीं है मतवारो, जगत उज्य
हरी नाम नहीं तो जीना क्या
अमृत है हरी नाम जगत में,
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे द्वार,
यहाँ से गर जो हरा कहाँ जाऊँगा सरकार
मुँह फेर जिधर देखु मुझे तू ही नज़र आये
हम छोड़के दर तेरा अब और किधर जाये
राधे तेरे चरणों की अगर धूल जो मिल जाए
सच कहता हू मेरी तकदीर बदल जाए
सत्यम शिवम सुन्दरम
सत्य ही शिव है, शिव ही सुन्दर है
मैं तो तुम संग होरी खेलूंगी, मैं तो तुम
वा वा रे रासिया, वा वा रे छैला
नी मैं दूध काहे नाल रिडका चाटी चो
लै गया नन्द किशोर लै गया,
तू राधे राधे गा ,
तोहे मिल जाएं सांवरियामिल जाएं
वास देदो किशोरी जी बरसाना,
छोडो छोडो जी छोडो जी तरसाना ।
मुझे चढ़ गया राधा रंग रंग, मुझे चढ़ गया
श्री राधा नाम का रंग रंग, श्री राधा नाम

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राम के भजने से बेड़ा पार है,
बिन भजन के ये जनम बेकार है,
दरबार तेरा सांवरे छूटे कभी नहीं,
आता रहूं ये सिलसिला टूटे कभी नहीं...
॥दोहा॥
जनक जननि पद्मरज, निज मस्तक पर धरि
जय जय गणेश जय जय गणेश
शिव गौरां के लाल को सब मिल ध्याते है,
मैनु अपने दर पे बुला लो हारा वालिया,
अपने चरनी लाले मेहरा वालिया,