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Bhagwat Katha - Krishna Chandra Shastri Ji - Vrindavan, U.P

Vrindavan, U.P ( 05 July 2014 ) | Shrimad Bhagwat Katha | Krishna Chandra Shastri Ji

Vrindavan, U.P ( 06 July 2014 ) | Shrimad Bhagwat Katha | Krishna Chandra Shastri Ji

Vrindavan, U.P ( 07 July 2014 ) | Shrimad Bhagwat Katha | Krishna Chandra Shastri Ji

Vrindavan, U.P ( 08 July 2014 ) | Shrimad Bhagwat Katha | Krishna Chandra Shastri Ji

Vrindavan, U.P ( 09 July 2014 ) | Shrimad Bhagwat Katha | Krishna Chandra Shastri Ji

Vrindavan, U.P ( 10 July 2014 ) | Shrimad Bhagwat Katha | Krishna Chandra Shastri Ji

Vrindavan, U.P ( 11 July 2014 ) | Shrimad Bhagwat Katha | Krishna Chandra Shastri Ji

Vrindavan, U.P ( 04 July 2014 ) | Shrimad Bhagwat Katha | Krishna Chandra Shastri Ji

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Vrindavan, U.P ( 05 July 2014 ) | Shrimad Bhagwat Katha | Krishna Chandra Shastri Ji
Vrindavan, U.P ( 06 July 2014 ) | Shrimad Bhagwat Katha | Krishna Chandra Shastri Ji
Vrindavan, U.P ( 07 July 2014 ) | Shrimad Bhagwat Katha | Krishna Chandra Shastri Ji
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Vrindavan, U.P ( 10 July 2014 ) | Shrimad Bhagwat Katha | Krishna Chandra Shastri Ji
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मेरा अवगुण भरा रे शरीर,
हरी जी कैसे तारोगे, प्रभु जी कैसे
फूलों में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन
और संग में सज रही है वृषभानु की
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
हर पल तेरे साथ मैं रहता हूँ,
डरने की क्या बात? जब मैं बैठा हूँ
वृन्दावन के बांके बिहारी,
हमसे पर्दा करो ना मुरारी ।
बोल कान्हा बोल गलत काम कैसे हो गया,
बिना शादी के तू राधे श्याम कैसे हो गया
कैसे जिऊ मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही ना लागे तुम्हारे बिना
सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया
दिल दीवाना हो गया, दिल दीवाना हो गया ॥
आप आए नहीं और सुबह हो मई
मेरी पूजा की थाली धरी रह गई
ऐसी होली तोहे खिलाऊँ
दूध छटी को याद दिलाऊँ
जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी
तमन्ना यही है के उड के बरसाने आयुं मैं
आके बरसाने में तेरे दिल की हसरतो को
आज बृज में होली रे रसिया।
होरी रे रसिया, बरजोरी रे रसिया॥
सज धज कर जिस दिन मौत की शहजादी आएगी,
ना सोना काम आएगा, ना चांदी आएगी।
ज़िंदगी मे हज़ारो का मेला जुड़ा
हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा
नटवर नागर नंदा, भजो रे मन गोविंदा
शयाम सुंदर मुख चंदा, भजो रे मन गोविंदा
यह मेरी अर्जी है,
मैं वैसी बन जाऊं जो तेरी मर्ज़ी है
जय राधे राधे, राधे राधे
जय राधे राधे, राधे राधे
सारी दुनियां है दीवानी, राधा रानी आप
कौन है, जिस पर नहीं है, मेहरबानी आप की
मुँह फेर जिधर देखु मुझे तू ही नज़र आये
हम छोड़के दर तेरा अब और किधर जाये
हर साँस में हो सुमिरन तेरा,
यूँ बीत जाये जीवन मेरा
नगरी हो अयोध्या सी,रघुकुल सा घराना हो
चरन हो राघव के,जहा मेरा ठिकाना हो
तुम रूठे रहो मोहन,
हम तुमको मन लेंगे
Ye Saare Khel Tumhare Hai Jag
Kahta Khel Naseebo Ka
लाडली अद्बुत नज़ारा तेरे बरसाने में
लाडली अब मन हमारा तेरे बरसाने में है।
श्यामा प्यारी मेरे साथ हैं,
फिर डरने की क्या बात है
कोई कहे गोविंदा, कोई गोपाला।
मैं तो कहुँ सांवरिया बाँसुरिया वाला॥
शिव कैलाशों के वासी, धौलीधारों के राजा
शंकर संकट हारना, शंकर संकट हारना
श्याम बंसी ना बुल्लां उत्ते रख अड़ेया
तेरी बंसी पवाडे पाए लख अड़ेया ।
सब दुख दूर हुए जब तेरा नाम लिया
कौन मिटाए उसे जिसको राखे पिया

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दरबार तेरा सांवरे छूटे कभी नहीं,
आता रहूं ये सिलसिला टूटे कभी नहीं...
पल्ले इक नाम तेरा मेरे शेरावालिये,
तेरे आ जी तेरे असी तेरे शेरावालिये...
मेरा अवगुण भरा शरीर मैया जी कैसे
मै हुँ इसीलिऐ दिल्लगीर,
तेरे प्यार से बढ़के मन्ने मिली कोई
मां तेरी नचाई नाचू सु दुनिया की औकात
कठे से आयो श्याम,
कठे से आयो शंकर,