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गीता प्रवचन - ज्ञानानंद जी महाराज ॥ उज्जैन (मध्य प्रदेश)

LIVE - Gita Pravachan by Shri Gyananand Ji Maharaj - 16 May || Day 1

LIVE - Gita Pravachan by Shri Gyananand Ji Maharaj - 17 May || Day 2

LIVE - Gita Pravachan by Shri Gyananand Ji Maharaj - May || Day 3

LIVE - Gita Pravachan by Shri Gyananand Ji Maharaj - 19 May || Day 4

LIVE - Gita Pravachan by Shri Gyananand Ji Maharaj - 20 May || Day 5

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LIVE - Gita Pravachan by Shri Gyananand Ji Maharaj - 16 May || Day 1
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LIVE - Gita Pravachan by Shri Gyananand Ji Maharaj - May || Day 3
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LIVE - Gita Pravachan by Shri Gyananand Ji Maharaj - 20 May || Day 5

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जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी
सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया
दिल दीवाना हो गया, दिल दीवाना हो गया ॥
दुनिया का बन कर देख लिया, श्यामा का बन
राधा नाम में कितनी शक्ति है, इस राह पर
सब हो गए भव से पार, लेकर नाम तेरा
नाम तेरा हरि नाम तेरा, नाम तेरा हरि नाम
मेरे जीवन की जुड़ गयी डोर, किशोरी तेरे
किशोरी तेरे चरणन में, महारानी तेरे
अरे बदलो ले लूँगी दारी के,
होरी का तोहे बड़ा चाव...
हम राम जी के, राम जी हमारे हैं
वो तो दशरथ राज दुलारे हैं
जगत में किसने सुख पाया
जो आया सो पछताया, जगत में किसने सुख
शिव कैलाशों के वासी, धौलीधारों के राजा
शंकर संकट हारना, शंकर संकट हारना
मैं मिलन की प्यासी धारा
तुम रस के सागर रसिया हो
मीठी मीठी मेरे सांवरे की मुरली बाजे,
होकर श्याम की दीवानी राधा रानी नाचे
राधे तेरे चरणों की अगर धूल जो मिल जाए
सच कहता हू मेरी तकदीर बदल जाए
एक कोर कृपा की करदो स्वामिनी श्री
दासी की झोली भर दो लाडली श्री राधे॥
तेरा पल पल बिता जाए रे
मुख से जप ले नमः शवाए
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
जय राधे राधे, राधे राधे
जय राधे राधे, राधे राधे
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे दवार,
यहाँ से जो मैं हारा तो कहा जाऊंगा मैं
ये सारे खेल तुम्हारे है
जग कहता खेल नसीबों का
आप आए नहीं और सुबह हो मई
मेरी पूजा की थाली धरी रह गई
बृज के नंदलाला राधा के सांवरिया,
सभी दुःख दूर हुए, जब तेरा नाम लिया।
राधिका गोरी से ब्रिज की छोरी से ,
मैया करादे मेरो ब्याह,
श्याम बंसी ना बुल्लां उत्ते रख अड़ेया
तेरी बंसी पवाडे पाए लख अड़ेया ।
राधा ढूंढ रही किसी ने मेरा श्याम देखा
श्याम देखा घनश्याम देखा
कोई कहे गोविंदा, कोई गोपाला।
मैं तो कहुँ सांवरिया बाँसुरिया वाला॥
कारे से लाल बनाए गयी रे,
गोरी बरसाने वारी
तेरा गम रहे सलामत मेरे दिल को क्या कमी
यही मेरी ज़िंदगी है, यही मेरी बंदगी है
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
इक तारा वाजदा जी हर दम गोविन्द गोविन्द
जग ताने देंदा ए, तै मैनु कोई फरक नहीं
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से
गोविन्द नाम लेकर, फिर प्राण तन से
मीठे रस से भरी रे, राधा रानी लागे,
मने कारो कारो जमुनाजी रो पानी लागे

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खाटू जी में बाबा जी को देखकर,
देखकर ही देखते रह जाते हैं,
बन आये महादेव बैरागी, बैरागी रे
. माथे का मुकुट उनके मन ही ना भावे,
आई कलकत्ता में शुभ घड़ियां,
श्री मंजू बाईसा आया पाँवनिया
ऐ साईं मेरे, तेरे नूर ऐ नज़र,
पड़ते ही बिगड़ी जाऐ सँवर,
मेरे स्वामी गणपति बाप्पा,
सारे जग का तू है दाता,