Bhagavad Gita Chapter 9 Verse 34 भगवद् गीता अध्याय 9 श्लोक 34 मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु। मामेवैष्यसि युक्त्वैवमात्मानं मत्परायणः।।9.34।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 9.34) ।।9.34।।तू मेरा भक्त हो जा? मेरेमें मनवाला हो जा? मेरा पूजन करनेवाला हो जा और मेरेको नमस्कार कर। इस प्रकार मेरे साथ अपनेआपको लगाकर? मेरे परायण हुआ तू मेरेको ही प्राप्त होगा।, हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।9.34।। (तुम) मुझमें स्थिर मन वाले बनो मेरे भक्त और मेरे पूजन करने वाले बनो मुझे नमस्कार करो इस प्रकार मत्परायण (अर्थात् मैं ही जिसका परम लक्ष्य हूँ ऐसे) होकर आत्मा को मुझसे युक्त करके तुम मुझे ही प्राप्त होओगे।।