Bhagavad Gita Chapter 9 Verse 22 भगवद् गीता अध्याय 9 श्लोक 22 अनन्याश्िचन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते। तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम्।।9.22।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 9.22) ।।9.22।।जो अनन्य भक्त मेरा चिन्तन करते हुए मेरी उपासना करते हैं? मेरेमें निरन्तर लगे हुए उन भक्तोंका योगक्षेम (अप्राप्तकी प्राप्ति और प्राप्तकी रक्षा) मैं वहन करता हूँ। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।9.22।। अनन्य भाव से मेरा चिन्तन करते हुए जो भक्तजन मेरी ही उपासना करते हैं? उन नित्ययुक्त पुरुषों का योगक्षेम मैं वहन करता हूँ।।