Bhagavad Gita Chapter 9 Verse 13 भगवद् गीता अध्याय 9 श्लोक 13 महात्मानस्तु मां पार्थ दैवीं प्रकृतिमाश्रिताः। भजन्त्यनन्यमनसो ज्ञात्वा भूतादिमव्ययम्।।9.13।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 9.13) ।।9.13।।परन्तु हे पृथानन्दन दैवी प्रकृतिके आश्रित महात्मालोग मेरेको सम्पूर्ण प्राणियोंका आदि और अविनाशी समझकर अनन्यमनसे मेरा भजन करते हैं। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।9.13।। हे पार्थ परन्तु दैवी प्रकृति के आश्रित महात्मा पुरुष मुझे समस्त भूतों का आदिकारण और अव्ययस्वरूप जानकर अनन्यमन से युक्त होकर मुझे भजते हैं।।