Bhagavad Gita Chapter 8 Verse 14 भगवद् गीता अध्याय 8 श्लोक 14 अनन्यचेताः सततं यो मां स्मरति नित्यशः। तस्याहं सुलभः पार्थ नित्ययुक्तस्य योगिनः।।8.14।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 8.14) ।।8.14।।हे पृथानन्दन अनन्यचित्तवाला जो मनुष्य मेरा नित्यनिरन्तर स्मरण करता है उस नित्ययुक्त योगीके लिये मैं सुलभ हूँ अर्थात् उसको सुलभतासे प्राप्त हो जाता हूँ। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।8.14।। हे पार्थ जो अनन्यचित्त वाला पुरुष मेरा स्मरण करता है उस नित्ययुक्त योगी के लिए मैं सुलभ हूँ अर्थात् सहज ही प्राप्त हो जाता हूँ।।