Bhagavad Gita Chapter 8 Verse 11 भगवद् गीता अध्याय 8 श्लोक 11 यदक्षरं वेदविदो वदन्ति विशन्ति यद्यतयो वीतरागाः। यदिच्छन्तो ब्रह्मचर्यं चरन्ति तत्ते पदं संग्रहेण प्रवक्ष्ये।।8.11।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 8.11) ।।8.11।।वेदवेत्ता लोग जिसको अक्षर कहते हैं वीतराग यति जिसको प्राप्त करते हैं और साधक जिसकी प्राप्तिकी इच्छा करते हुए ब्रह्मचर्यका पालन करते हैं वह पद मैं तेरे लिये संक्षेपसे कहूँगा। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।8.11।। वेद के जानने वाले विद्वान जिसे अक्षर कहते हैं रागरहित यत्नशील पुरुष जिसमें प्रवेश करते हैं जिसकी इच्छा से (साधक गण) ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं उस पद (लक्ष्य) को मैं तुम्हें संक्षेप में कहूँगा।।