Bhagavad Gita Chapter 7 Verse 15 भगवद् गीता अध्याय 7 श्लोक 15 न मां दुष्कृतिनो मूढाः प्रपद्यन्ते नराधमाः। माययापहृतज्ञाना आसुरं भावमाश्रिताः।।7.15।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 7.15) ।।7.15।।मायाके द्वारा अपहृत ज्ञानवाले आसुर भावका आश्रय लेनेवाले और मनुष्योंमें महान् नीच तथा पापकर्म करनेवाले मूढ़ मनुष्य मेरे शरण नहीं होते। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।7.15।। दुष्कृत्य करने वाले मूढ नराधम पुरुष मुझे नहीं भजते हैं माया के द्वारा जिनका ज्ञान हर लिया गया है वे आसुरी भाव को धारण किये रहते हैं।।