Bhagavad Gita Chapter 7 Verse 12 भगवद् गीता अध्याय 7 श्लोक 12 ये चैव सात्त्विका भावा राजसास्तामसाश्च ये। मत्त एवेति तान्विद्धि नत्वहं तेषु ते मयि।।7.12।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 7.12) ।।7.12।।(और तो क्या कहें) जितने भी सात्त्विक राजस और तामस भाव हैं वे सब मेरेसे ही होते हैं ऐसा समझो। पर मैं उनमें और वे मेरेमें नहीं हैं। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।7.12।। जो भी सात्त्विक (शुद्ध) राजसिक (क्रियाशील) और तामसिक (जड़) भाव हैं उन सबको तुम मेरे से उत्पन्न हुए जानो तथापि मैं उनमें नहीं हूँ वे मुझमें हैं।।