Bhagavad Gita Chapter 6 Verse 43 भगवद् गीता अध्याय 6 श्लोक 43 तत्र तं बुद्धिसंयोगं लभते पौर्वदेहिकम्। यतते च ततो भूयः संसिद्धौ कुरुनन्दन।।6.43।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 6.43) ।।6.43।।हे कुरुनन्दन वहाँपर उसको पूर्वजन्मकृत साधनसम्पत्ति अनायास ही प्राप्त हो जाती है। उससे वह साधनकी सिद्धिके विषयमें पुनः विशेषतासे यत्न करता है। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।6.43।। हे कुरुनन्दन वह पुरुष वहाँ पूर्व देह में प्राप्त किये गये ज्ञान से सम्पन्न होकर योगसंसिद्धि के लिए उससे भी अधिक प्रयत्न करता है।।