Bhagavad Gita Chapter 6 Verse 42 भगवद् गीता अध्याय 6 श्लोक 42 अथवा योगिनामेव कुले भवति धीमताम्। एतद्धि दुर्लभतरं लोके जन्म यदीदृशम्।।6.42।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 6.42) ।।6.42।।अथवा (वैराग्यवान्) योगभ्रष्ट ज्ञानवान् योगियोंके कुलमें ही जन्म लेता है। इस प्रकारका जो यह जन्म है यह संसारमें बहुत ही दुर्लभ है। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।6.42।। अथवा (साधक) ज्ञानवान् योगियों के ही कुल में जन्म लेता है परन्तु इस प्रकार का जन्म इस लोक में निसंदेह अति दुर्लभ है।।