Bhagavad Gita Chapter 6 Verse 38 भगवद् गीता अध्याय 6 श्लोक 38 कच्चिन्नोभयविभ्रष्टश्छिन्नाभ्रमिव नश्यति। अप्रतिष्ठो महाबाहो विमूढो ब्रह्मणः पथि।।6.38।। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।6.38।। हे महबाहो क्या वह ब्रह्म के मार्ग में मोहित तथा आश्रयरहित पुरुष छिन्नभिन्न मेघ के समान दोनों ओर से भ्रष्ट हुआ नष्ट तो नहीं हो जाता है Brahma Vaishnava Sampradaya - Commentary There is no commentary for this verse.