Bhagavad Gita Chapter 6 Verse 36 भगवद् गीता अध्याय 6 श्लोक 36 असंयतात्मना योगो दुष्प्राप इति मे मतिः। वश्यात्मना तु यतता शक्योऽवाप्तुमुपायतः।।6.36।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 6.36) ।।6.36।।जिसका मन पूरा वशमें नहीं है उसके द्वारा योग प्राप्त होना कठिन है। परन्तु उपायपूर्वक यत्न करनेवाले वश्यात्माको योग प्राप्त हो सकता है ऐसा मेरा मत है। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।6.36।। असंयत मन के पुरुष द्वारा योग प्राप्त होना कठिन है परन्तु स्वाधीन मन वाले प्रयत्नशील पुरुष द्वारा उपाय से योग प्राप्त होना संभव है यह मेरा मत है।।