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Bhagavad Gita Chapter 6 Verse 20

भगवद् गीता अध्याय 6 श्लोक 20

यत्रोपरमते चित्तं निरुद्धं योगसेवया।
यत्र चैवात्मनाऽऽत्मानं पश्यन्नात्मनि तुष्यति।।6.20।।

हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद

।।6.20।। जब (जिस स्थिति में) योगाभ्यास से निरुद्ध हुआ चित्त उपराम हो जाता है और जब आत्मा को आत्मा (बुद्धि) के द्वारा देखऋ़र आत्मा में ही सन्तुष्ट होता है।।

हिंदी टीका - स्वामी चिन्मयानंद जी

।।6.20।। No commentary.