Bhagavad Gita Chapter 5 Verse 6 भगवद् गीता अध्याय 5 श्लोक 6 संन्यासस्तु महाबाहो दुःखमाप्तुमयोगतः। योगयुक्तो मुनिर्ब्रह्म नचिरेणाधिगच्छति।।5.6।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 5.6) ।।5.6।।(टिप्पणी प0 286) परन्तु हे महाबाहो कर्मयोगके बिना संन्यास सिद्ध होना कठिन है। मननशील कर्मयोगी शीघ्र ही ब्रह्मको प्राप्त हो जाता है। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।5.6।। परन्तु हे महाबाहो योग के बिना संन्यास प्राप्त होना कठिन है योगयुक्त मननशील पुरुष परमात्मा को शीघ्र ही प्राप्त होता है।।