Bhagavad Gita Chapter 5 Verse 12 भगवद् गीता अध्याय 5 श्लोक 12 युक्तः कर्मफलं त्यक्त्वा शान्तिमाप्नोति नैष्ठिकीम्। अयुक्तः कामकारेण फले सक्तो निबध्यते।।5.12।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 5.12) ।।5.12।।कर्मयोगी कर्मफलका त्याग करके नैष्ठिकी शान्तिको प्राप्त होता है। परन्तु सकाम मनुष्य कामनाके कारण फलमें आसक्त होकर बँध जाता है। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।5.12।। युक्त पुरुष कर्मफल का त्याग करके परम शान्ति को प्राप्त होता है और अयुक्त पुरुष फल में आसक्त हुआ कामना के द्वारा बँधता है।।