Bhagavad Gita Chapter 4 Verse 6 भगवद् गीता अध्याय 4 श्लोक 6 अजोऽपि सन्नव्ययात्मा भूतानामीश्वरोऽपि सन्। प्रकृतिं स्वामधिष्ठाय संभवाम्यात्ममायया।।4.6।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 4.6) ।।4.6।।मैं अजन्मा और अविनाशीस्वरूप होते हुए भी तथा सम्पूर्ण प्राणियोंका ईश्वर होते हुए भी अपनी प्रकृतिको अधीन करके अपनी योगमायासे प्रकट होता हूँ। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।4.6।। यद्यपि मैं अजन्मा और अविनाशी स्वरूप हूँ और भूतमात्र का ईश्वर हूँ (तथापि) अपनी प्रकृति को अपने अधीन रखकर (अधिष्ठाय) मैं अपनी माया से जन्म लेता हूँ।।