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Bhagavad Gita Chapter 4 Verse 41

भगवद् गीता अध्याय 4 श्लोक 41

योगसंन्यस्तकर्माणं ज्ञानसंछिन्नसंशयम्।
आत्मवन्तं न कर्माणि निबध्नन्ति धनञ्जय।।4.41।।

हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद

।।4.41।। जिसने योगद्वारा कर्मों का संन्यास किया है ज्ञानद्वारा जिसके संशय नष्ट हो गये हैं ऐसे आत्मवान् पुरुष को हे धनंजय कर्म नहीं बांधते हैं।।

Brahma Vaishnava Sampradaya - Commentary

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