Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 32 भगवद् गीता अध्याय 3 श्लोक 32 ये त्वेतदभ्यसूयन्तो नानुतिष्ठन्ति मे मतम्। सर्वज्ञानविमूढांस्तान्विद्धि नष्टानचेतसः।।3.32।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 3.32) ।।3.32।।परन्तु जो मनुष्य मेरे इस मतमें दोषदृष्टि करते हुए इसका अनुष्ठान नहीं करते उन सम्पूर्ण ज्ञानोंमें मोहित और अविवेकी मनुष्योंको नष्ट हुए ही समझो। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।3.32।। परन्तु जो दोष दृष्टि वाले मूढ़ लोग इस मेरे मत का पालन नहीं करते उन सब ज्ञानों में मोहित चित्तवालों को नष्ट हुये ही तुम समझो।।