Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 29 भगवद् गीता अध्याय 3 श्लोक 29 प्रकृतेर्गुणसम्मूढाः सज्जन्ते गुणकर्मसु। तानकृत्स्नविदो मन्दान्कृत्स्नविन्न विचालयेत्।।3.29।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 3.29) ।।3.29।।प्रकृतिजन्य गुणोंसे अत्यन्त मोहित हुए अज्ञानी मनुष्य गुणों और कर्मोंमें आसक्त रहते हैं। उन पूर्णतया न समझनेवाले मन्दबुद्धि अज्ञानियोंको पूर्णतया जाननेवाला ज्ञानी मनुष्य विचलित न करे। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।3.29।। प्रकृति के गुणों से मोहित हुए पुरुष गुण और कर्म में आसक्त होते हैं उन अपूर्ण ज्ञान वाले (अकृत्स्नविद) मंदबुद्धि पुरुषों को पूर्ण ज्ञान प्राप्त पुरुष विचलित न करे।।