Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 15 भगवद् गीता अध्याय 3 श्लोक 15 कर्म ब्रह्मोद्भवं विद्धि ब्रह्माक्षरसमुद्भवम्। तस्मात्सर्वगतं ब्रह्म नित्यं यज्ञे प्रतिष्ठितम्।।3.15।। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।3.15।। कर्म की उत्पत्ति ब्रह्माजी से होती है और ब्रह्माजी अक्षर तत्त्व से व्यक्त होते हैं। इसलिये सर्व व्यापी ब्रह्म सदा ही यज्ञ में प्रतिष्ठित है।। Brahma Vaishnava Sampradaya - Commentary There is no commentary for this verse.