Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 11 भगवद् गीता अध्याय 3 श्लोक 11 देवान्भावयतानेन ते देवा भावयन्तु वः। परस्परं भावयन्तः श्रेयः परमवाप्स्यथ।।3.11।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 3.11) ।।3.10 3.11।।प्रजापति ब्रह्माजीने सृष्टिके आदिकालमें कर्तव्यकर्मोंके विधानसहित प्रजा(मनुष्य आदि) की रचना करके उनसे (प्रधानतया मनुष्योंसे) कहा कि तुमलोग इस कर्तव्यके द्वारा सबकी वृद्धि करो और वह कर्तव्यकर्मरूप यज्ञ तुमलोगोंको कर्तव्यपालनकी आवश्यक सामग्री प्रदान करनेवाला हो। अपने कर्तव्यकर्मके द्वारा तुमलोग देवताओंको उन्नत करो और वे देवतालोग अपने कर्तव्यके द्वारा तुमलोगोंको उन्नत करें। इस प्रकार एकदूसरेको उन्नत करते हुए तुमलोग परम कल्याणको प्राप्त हो जाओगे। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।3.11।। तुम लोग इस यज्ञ द्वारा देवताओं की उन्नति करो और वे देवतागण तुम्हारी उन्नति करें। इस प्रकार परस्पर उन्नति करते हुये परम श्रेय को तुम प्राप्त होगे।।