Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 60 भगवद् गीता अध्याय 2 श्लोक 60 यततो ह्यपि कौन्तेय पुरुषस्य विपश्िचतः। इन्द्रियाणि प्रमाथीनि हरन्ति प्रसभं मनः।।2.60।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 2.60) ।।2.60।।हे कुन्तीनन्दन (रसबुद्धि रहनेसे) यत्न करते हुए विद्वान् मनुष्यकी भी प्रमथनशील इन्द्रियाँ उसके मनको बलपूर्वक हर लेती हैं। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।2.60।। हे कौन्तेय (संयम का) प्रयत्न करते हुए बुद्धिमान (विपश्चित) पुरुष के भी मन को ये इन्द्रियां बलपूर्वक हर लेती हैं।।