Download Bhagwad Gita 2.5 Download BG 2.5 as Image

⮪ BG 2.4 Bhagwad Gita Shri Vaishnava Sampradaya BG 2.6⮫

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 5

भगवद् गीता अध्याय 2 श्लोक 5

गुरूनहत्वा हि महानुभावान्
श्रेयो भोक्तुं भैक्ष्यमपीह लोके।
हत्वार्थकामांस्तु गुरूनिहैव
भुञ्जीय भोगान् रुधिरप्रदिग्धान्।।2.5।।

हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 2.5)

।।2.5।।महानुभाव गुरुजनोंको न मारकर मैं भिक्षाका अन्न खाना भी श्रेष्ठ समझता हूँ। गुरुजनोंको मारकर यहाँ रक्तसे सने हुए तथा धनकी कामनाकी मुख्यतावाले भोगोंको ही तो भोगूँगा

Shri Vaishnava Sampradaya - Commentary

There is no commentary for this verse.