Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 42 भगवद् गीता अध्याय 2 श्लोक 42 यामिमां पुष्पितां वाचं प्रवदन्त्यविपश्िचतः। वेदवादरताः पार्थ नान्यदस्तीति वादिनः।।2.42।। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।2.42।। हे पार्थ अविवेकी पुरुष वेदवाद में रमते हुये जो यह पुष्पिता (दिखावटी शोभा की) वाणी बोलते हैं? इससे (स्वर्ग से) बढ़कर और कुछ नहीं है।।। हिंदी टीका - स्वामी चिन्मयानंद जी ।।2.42।। no commentary.