Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 16 भगवद् गीता अध्याय 2 श्लोक 16 नासतो विद्यते भावो नाभावो विद्यते सतः। उभयोरपि दृष्टोऽन्तस्त्वनयोस्तत्त्वदर्शिभिः।।2.16।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 2.16) ।।2.16।।(टिप्पणी प0 55) असत्का तो भाव (सत्ता) विद्यमान नहीं है और सत्का अभाव विद्यमान नहीं है तत्त्वदर्शी महापुरुषोंने इन दोनोंका ही अन्त अर्थात् तत्त्व देखा है। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।2.16।। असत् वस्तु का तो अस्तित्व नहीं है और सत् का कभी अभाव नहीं है। इस प्रकार इन दोनों का ही तत्त्व? तत्त्वदर्शी ज्ञानी पुरुषों के द्वारा देखा गया है।।