Bhagavad Gita Chapter 18 Verse 72 भगवद् गीता अध्याय 18 श्लोक 72 कच्चिदेतच्छ्रुतं पार्थ त्वयैकाग्रेण चेतसा। कच्चिदज्ञानसंमोहः प्रनष्टस्ते धनञ्जय।।18.72।। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।18.72।। हे पार्थ क्या इसे (मेरे उपदेश को) तुमने एकाग्रचित्त होकर श्रवण किया और हे धनञ्जय क्या तुम्हारा अज्ञान जनित संमोह पूर्णतया नष्ट हुआ Brahma Vaishnava Sampradaya - Commentary There is no commentary for this verse.