Bhagavad Gita Chapter 18 Verse 49 भगवद् गीता अध्याय 18 श्लोक 49 असक्तबुद्धिः सर्वत्र जितात्मा विगतस्पृहः। नैष्कर्म्यसिद्धिं परमां संन्यासेनाधिगच्छति।।18.49।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 18.49) ।।18.49।।जिसकी बुद्धि सब जगह आसक्तिरहित है? जिसने शरीरको वशमें कर रखा है? जो स्पृहारहित है? वह मनुष्य सांख्ययोगके द्वारा नैष्कर्म्यसिद्धिको प्राप्त हो जाता है। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।18.49।। सर्वत्र आसक्ति रहित बुद्धि वाला वह पुरुष जो स्पृहारहित तथा जितात्मा है? संन्यास के द्वारा परम नैर्ष्कम्य सिद्धि को प्राप्त होता है।।