Bhagavad Gita Chapter 18 Verse 30 भगवद् गीता अध्याय 18 श्लोक 30 प्रवृत्तिं च निवृत्तिं च कार्याकार्ये भयाभये। बन्धं मोक्षं च या वेत्ति बुद्धिः सा पार्थ सात्त्विकी।।18.30।। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।18.30।। हे पार्थ जो बुद्धि प्रवृत्ति और निवृत्ति? कार्य और अकार्य? भय और अभय तथा बन्ध और मोक्ष को तत्त्वत जानती है? वह बुद्धि सात्विकी है।। Brahma Vaishnava Sampradaya - Commentary There is no commentary for this verse.