Bhagavad Gita Chapter 18 Verse 21 भगवद् गीता अध्याय 18 श्लोक 21 पृथक्त्वेन तु यज्ज्ञानं नानाभावान्पृथग्विधान्। वेत्ति सर्वेषु भूतेषु तज्ज्ञानं विद्धि राजसम्।।18.21।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 18.21) ।।18.21।।परन्तु जो ज्ञान अर्थात् जिस ज्ञानके द्वारा मनुष्य सम्पूर्ण प्राणियोंमें अलगअलग अनेक भावोंको अलगअलग रूपसे जानता है? उस ज्ञानको तुम राजस समझो। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।18.21।। जिस ज्ञान के द्वारा मनुष्य समस्त भूतों में नाना भावों को पृथक्पृथक् जानता है? उस ज्ञान को तुम राजस जानो।।