Bhagavad Gita Chapter 18 Verse 20 भगवद् गीता अध्याय 18 श्लोक 20 सर्वभूतेषु येनैकं भावमव्ययमीक्षते। अविभक्तं विभक्तेषु तज्ज्ञानं विद्धि सात्त्विकम्।।18.20।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 18.20) ।।18.20।।जिस ज्ञानके द्वारा साधक सम्पूर्ण विभक्त प्राणियोंमें विभागरहित एक अविनाशी भाव(सत्ता) को देखता है? उस ज्ञानको तुम सात्त्विक समझो। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।18.20।। जिस ज्ञान से मनुष्य? विभक्त रूप में स्थित समस्त भूतों में एक अविभक्त और अविनाशी (अव्यय) स्वरूप को देखता है? उस ज्ञान को तुम सात्त्विक जानो।।