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Bhagavad Gita Chapter 17 Verse 20

भगवद् गीता अध्याय 17 श्लोक 20

दातव्यमिति यद्दानं दीयतेऽनुपकारिणे।
देशे काले च पात्रे च तद्दानं सात्त्विकं स्मृतम्।।17.20।।

हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 17.20)

।।17.20।।दान देना कर्तव्य है -- ऐसे भावसे जो दान देश? काल और पात्रके प्राप्त होनेपर अनुपकारीको दिया जाता है? वह दान सात्त्विक कहा गया है।

हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद

।।17.20।। दान देना ही कर्तव्य है इस भाव से जो दान योग्य देश? काल को देखकर ऐसे (योग्य) पात्र (व्यक्ति) को दिया जाता है? जिससे प्रत्युपकार की अपेक्षा नहीं होती है? वह दान सात्त्विक माना गया है।।