Bhagavad Gita Chapter 17 Verse 13 भगवद् गीता अध्याय 17 श्लोक 13 विधिहीनमसृष्टान्नं मन्त्रहीनमदक्षिणम्। श्रद्धाविरहितं यज्ञं तामसं परिचक्षते।।17.13।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 17.13) ।।17.13।।शास्त्रविधिसे हीन? अन्नदानसे रहित? बिना मन्त्रोंके? बिना दक्षिणाके और बिना श्रद्धाके किये जानेवाले यज्ञको तामस यज्ञ कहते हैं। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।17.13।। शास्त्रविधि से रहित? अन्नदान से रहित? बिना मन्त्रों? बिना दक्षिणा और बिना श्रद्धा के किये हुए यज्ञ को तामस यज्ञ कहते हैं।।