Bhagavad Gita Chapter 17 Verse 10 भगवद् गीता अध्याय 17 श्लोक 10 यातयामं गतरसं पूति पर्युषितं च यत्। उच्छिष्टमपि चामेध्यं भोजनं तामसप्रियम्।।17.10।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 17.10) ।।17.10।।जो भोजन अधपका? रसरहित? दुर्गन्धित? बासी और उच्छिष्ट है तथा जो महान् अपवित्र भी है? वह तामस मनुष्यको प्रिय होता है। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।17.10।। अर्धपक्व? रसरहित? दुर्गन्धयुक्त? बासी? उच्छिष्ट तथा अपवित्र (अमेध्य) अन्न तामस जनों को प्रिय होता है।।