Bhagavad Gita Chapter 16 Verse 7 भगवद् गीता अध्याय 16 श्लोक 7 प्रवृत्तिं च निवृत्तिं च जना न विदुरासुराः। न शौचं नापि चाचारो न सत्यं तेषु विद्यते।।16.7।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 16.7) ।।16.7।।आसुरी प्रकृतिवाले मनुष्य प्रवृत्ति और निवृत्तिको नहीं जानते और उनमें न बाह्यशुद्धि? न श्रेष्ठ आचरण तथा न सत्यपालन ही होता है। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।16.7।। आसुरी स्वभाव के लोग न प्रवृत्ति को जानते हैं और न निवृत्ति को उनमें न शुद्धि होती है? न सदाचार और न सत्य ही होता है।।