Bhagavad Gita Chapter 16 Verse 6 भगवद् गीता अध्याय 16 श्लोक 6 द्वौ भूतसर्गौ लोकेऽस्मिन् दैव आसुर एव च। दैवो विस्तरशः प्रोक्त आसुरं पार्थ मे श्रृणु।।16.6।। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।16.6।। हे पार्थ इस लोक में दो प्रकार की भूतिसृष्टि है? दैवी और आसुरी। उनमें देवों का स्वभाव (दैवी सम्पदा) विस्तारपूर्वक कहा गया है अब असुरों के स्वभाव को विस्तरश मुझसे सुनो।। Brahma Vaishnava Sampradaya - Commentary