Bhagavad Gita Chapter 16 Verse 20 भगवद् गीता अध्याय 16 श्लोक 20 असुरीं योनिमापन्ना मूढा जन्मनि जन्मनि। मामप्राप्यैव कौन्तेय ततो यान्त्यधमां गतिम्।।16.20।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 16.20) ।।16.20।।हे कुन्तीनन्दन वे मूढ मनुष्य मेरेको प्राप्त न करके ही जन्मजन्मान्तरमें आसुरी योनिको प्राप्त होते हैं? फिर उससे भी अधिक अधम गतिमें अर्थात् भयङ्कर नरकोंमें चले जाते हैं। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।16.20।। हे कौन्तेय वे मूढ़ पुरुष जन्मजन्मान्तर में आसुरी योनि को प्राप्त होते हैं और ( इस प्रकार) मुझे प्राप्त न होकर अधम गति को प्राप्त होते है।।