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Bhagavad Gita Chapter 16 Verse 15

भगवद् गीता अध्याय 16 श्लोक 15

आढ्योऽभिजनवानस्मि कोऽन्योऽस्ति सदृशो मया।
यक्ष्ये दास्यामि मोदिष्य इत्यज्ञानविमोहिताः।।16.15।।

हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 16.15)

।।16.15।।हम धनवान् हैं? बहुतसे मनुष्य हमारे पास हैं? हमारे समान और कौन है हम खूब यज्ञ करेंगे? दान देंगे और मौज करेंगे -- इस तरह वे अज्ञानसे मोहित रहते हैं।

हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद

।।16.15।। मैं धनवान् और श्रेष्ठकुल में जन्मा हूँ। मेरे समान दूसरा कौन है?मैं यज्ञ करूंगा? मैं दान दूँगा? मैं मौज करूँगा इस प्रकार के अज्ञान से वे मोहित होते हैं।।