Bhagavad Gita Chapter 16 Verse 10 भगवद् गीता अध्याय 16 श्लोक 10 काममाश्रित्य दुष्पूरं दम्भमानमदान्विताः। मोहाद्गृहीत्वासद्ग्राहान्प्रवर्तन्तेऽशुचिव्रताः।।16.10।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 16.10) ।।16.10।।कभी पूरी न होनेवाली कामनाओंका आश्रय लेकर दम्भ? अभिमान और मदमें चूर रहनेवाले तथा अपवित्र व्रत धारण करनेवाले मनुष्य मोहके कारण दुराग्रहोंको धारण करके संसारमें विचरते रहते हैं। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।16.10।। दम्भ? मान और मद से युक्त कभी न पूर्ण होने वाली कामनाओं का आश्रय लिये? मोहवश मिथ्या धारणाओं को ग्रहण करके ये अशुद्ध संकल्पों के लोग जगत् में कार्य करते हैं।।