Bhagavad Gita Chapter 16 Verse 1 भगवद् गीता अध्याय 16 श्लोक 1 श्री भगवानुवाच अभयं सत्त्वसंशुद्धिः ज्ञानयोगव्यवस्थितिः। दानं दमश्च यज्ञश्च स्वाध्यायस्तप आर्जवम्।।16.1।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 16.1) ।।16.1।।श्रीभगवान् बोले -- भयका सर्वथा अभाव अन्तःकरणकी शुद्धि ज्ञानके लिये योगमें दृढ़ स्थिति सात्त्विक दान इन्द्रियोंका दमन यज्ञ स्वाध्याय कर्तव्यपालनके लिये कष्ट सहना शरीरमनवाणीकी सरलता। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।16.1।। श्री भगवान् ने कहा -- अभय? अन्तकरण की शुद्धि? ज्ञानयोग में दृढ़ स्थिति? दान? दम? यज्ञ? स्वाध्याय? तप और आर्जव।।