Bhagavad Gita Chapter 15 Verse 18 भगवद् गीता अध्याय 15 श्लोक 18 यस्मात्क्षरमतीतोऽहमक्षरादपि चोत्तमः। अतोऽस्मि लोके वेदे च प्रथितः पुरुषोत्तमः।।15.18।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 15.18) ।।15.18।।मैं क्षरसे अतीत हूँ और अक्षरसे भी उत्तम हूँ? इसलिये लोकमें और वेदमें पुरुषोत्तम नामसे प्रसिद्ध हूँ। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।15.18।। क्योंकि मैं क्षर से अतीत हूँ और अक्षर से भी उत्तम हूँ? इसलिये लोक में और वेद में भी पुरुषोत्तम के नाम से प्रसिद्ध हूँ।।