Bhagavad Gita Chapter 14 Verse 9 भगवद् गीता अध्याय 14 श्लोक 9 सत्त्वं सुखे सञ्जयति रजः कर्मणि भारत। ज्ञानमावृत्य तु तमः प्रमादे सञ्जयत्युत।।14.9।। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।14.9।। हे भारत सत्त्वगुण सुख में आसक्त कर देता है और रजोगुण कर्म में? किन्तु तमोगुण ज्ञान को आवृत्त करके जीव को प्रमाद से युक्त कर देता है।। Brahma Vaishnava Sampradaya - Commentary There is no commentary for this verse.