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Bhagavad Gita Chapter 14 Verse 4

भगवद् गीता अध्याय 14 श्लोक 4

सर्वयोनिषु कौन्तेय मूर्तयः सम्भवन्ति याः।
तासां ब्रह्म महद्योनिरहं बीजप्रदः पिता।।14.4।।

हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 14.4)

।।14.4।।हे कुन्तीनन्दन सम्पूर्ण योनियोंमें प्राणियोंके जितने शरीर पैदा होते हैं? उन सबकी मूल प्रकृति तो माता है और मैं बीजस्थापन करनेवाला पिता हूँ।

हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद

।।14.4।। हे कौन्तेय समस्त योनियों में जितनी मूर्तियाँ (शरीर) उत्पन्न होती हैं? उन सबकी योनि अर्थात् गर्भ है महद्ब्रह्म और मैं बीज की स्थापना करने वाला पिता हूँ।।