Bhagavad Gita Chapter 14 Verse 24 भगवद् गीता अध्याय 14 श्लोक 24 समदुःखसुखः स्वस्थः समलोष्टाश्मकाञ्चनः। तुल्यप्रियाप्रियो धीरस्तुल्यनिन्दात्मसंस्तुतिः।।14.24।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 14.24) ।।14.24।।जो धीर मनुष्य सुखदुःखमें सम तथा अपने स्वरूपमें स्थित रहता है जो मिट्टीके ढेले? पत्थर और सोनेमें सम रहता है जो प्रियअप्रियमें तथा अपनी निन्दास्तुतिमें सम रहता है जो मानअपमानमें तथा मित्रशत्रुके पक्षमें सम रहता है जो सम्पूर्ण कर्मोंके आरम्भका त्यागी है? वह मनुष्य गुणातीत कहा जाता है। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।14.24।। जो स्वस्थ (स्वरूप में स्थित)? सुखदुख में समान रहता है तथा मिट्टी? पत्थर और स्वर्ण में समदृष्टि रखता है ऐसा वीर पुरुष प्रिय और अप्रिय को तथा निन्दा और आत्मस्तुति को तुल्य समझता है।।