Bhagavad Gita Chapter 14 Verse 23 भगवद् गीता अध्याय 14 श्लोक 23 उदासीनवदासीनो गुणैर्यो न विचाल्यते। गुणा वर्तन्त इत्येव योऽवतिष्ठति नेङ्गते।।14.23।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 14.23) ।।14.23।।जो उदासीनकी तरह स्थित है और जो गुणोंके द्वारा विचलित नहीं किया जा सकता तथा गुण ही (गुणोंमें) बरत रहे हैं -- इस भावसे जो अपने स्वरूपमें ही स्थित रहता है और स्वयं कोई भी चेष्टा नहीं करता। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।14.23।। जो उदासीन के समान आसीन होकर गुणों के द्वारा विचलित नहीं किया जा सकता और गुण ही व्यवहार करते हैं ऐसा जानकर स्थित रहता है और उस स्थिति से विचलित नहीं होता।।