Bhagavad Gita Chapter 14 Verse 20 भगवद् गीता अध्याय 14 श्लोक 20 गुणानेतानतीत्य त्रीन्देही देहसमुद्भवान्। जन्ममृत्युजरादुःखैर्विमुक्तोऽमृतमश्नुते।।14.20।। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।14.20।। यह देही पुरुष शरीर की उत्पत्ति के कारणरूप तीनों गुणों से अतीत होकर जन्म? मृत्यु? जरा और दुखों से विमुक्त हुआ अमृतत्व को प्राप्त होता है।। Brahma Vaishnava Sampradaya - Commentary